मैं संविधान हूँ - मुकेश कुमार की कलम से

राष्ट्र   की   एकता   और 
अखण्डता   का   मंत्र  हूँ ।
भारत के  सभी  ग्रंथों  में 
मैं   सबसे   बड़ा  ग्रंथ  हूँ ।
भारतवासियों   के   लिए 
मैं  विधि  का  विधान   हूँ
जी  हाँ  , मैं  संविधान  हूँ ।। 
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भारतवासियों   के   लिए 
आजादी    का    पर्व    हूँ ।
देश    चलाने    के    लिए 
भारतीयों    का    गर्व   हूँ ।
मान     हूँ  ,   सम्मान    हूँ 
भारत   का  अभिमान  हूँ
जी   हाँ ,  मैं  संविधान  हूँ ।।
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भारतीवासियों का तन हूँ 
डा. भीमराव  का  मन  हूँ ।
अपने   दिल    में    समेटे
भारत  का  कण-कण  हूँ ।
स्वतंत्रता    का   गान   हूँ 
अस्मिता  की  पहचान हूँ
जी  हाँ ,  मैं  संविधान  हूँ  ।।
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संसद मेरा दिल है, लेकिन
मेरा  दिल  अब  रो रहा  है ।
क्योंकि ,जो नहीं होना था
वो  आजकल   हो  रहा  है ।
ऐसे तो विधि का विधान हूँ 
पर,सबसे ज्यादा परेशान हूँ 
जी   हाँ ,  मैं   संविधान   हूँ ।।
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भारत में सुख-शांति के लिए 
कर्त्तव्य-पथ मुझे बुलाता है ।
पर, खद्दर और खाकी मुझे
सबसे   ज्यादा  रूलाता  है ।
स्वार्थ  बड़ा  या  राष्ट्र  बड़ा 
मैं   इसका   इम्तिहान    हूँ
जी   हाँ , मैं   संविधान   हूँ ।।
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नोट :- देश के समस्त नागरिकों को संविधान-दिवस की हार्दिक बधाई ।।